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ललन सिंह के साथ चुनावी मैदान में पूर्व सांसद और बाहुबली नेता सूरजभान सिंह भी उतर चुके हैं। सूरजभान की पत्नी और पूर्व सांसद वीणा देवी खुद को मोकामा की बहू बताकर मतदाताओं से सोनम देवी के लिए वोट मांगा। बिहार के मोकामा विधानसभा उपचुनाव के लिए 3 नवंबर को वोटिंग होने जा रही है। इस हॉट सीट पर सभी की निगाहें हैं। एक ओर जहां अनंत सिंह की पत्नी नीलम देवी (राजद) मैदान में हैं तो वहीं दूसरी ओर बीजेपी उम्मीदवार सोनम देवी हैं, जिनके पति नलिनी रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह खुद भी बाहुबली हैं। सबसे दिलचस्प बात यह है कि ललन सिंह के साथ चुनावी मैदान में कदम से कदम मिलाने के लिए पूर्व सांसद और बाहुबली नेता सूरजभान सिंह भी उतर चुके हैं। सूरजभान की पत्नी और पूर्व सांसद वीणा देवी खुद को मोकामा की बहू बताकर मतदाताओं से सोनम देवी के लिए वोट मांगा। अब यह तो 6 नवंबर को ही पता चलेगा कि इस सीट का किंग कौन होगा।
अनंत सिंह का अभेद्य किला माने जाने वाले मोकामा में साल 2015, 2010 और 2005 में अनंत सिंह को ललन सिंह ने कड़ी टक्कर दी थी। साल 2010 और 2005 में ललन सिंह रामविलास पासवान की पार्टी एलजेपी से चुनावी मैदान में उतरे थे। लोजपा से अलग हुए गुट के खेवनहार और पशुपतिनाथ पारस गुट के नेता सूरजभान सिंह के बेहद करीबी ललन सिंह बताए जाते हैं। राजनीति में आने के बाद सूरजभान सिंह ने ललन सिंह को दो बार लोजपा से टिकट दिलवाया था। मोकामा की गलियों बचपन गुज़ारने वाले सूरजभान सिंह के पिता एक दुकान पर नौकरी करते थे। व्यापारी सरदार गुलजीत सिंह की दुकान पर काम कर उसके पिता परिवार की ज़िम्मेदारियों को पूरा करते थे। इसके बाद सूरजभान सिंह के बड़े भाई को सीआरपीएफ में नौकरी मिली तो परिवार की स्थिति पहले से बेहतर हुई। बड़े बेटे को सीआरपीएफ में नौकरी मिलने के बाद सूरजभान सिंह के पिता ने छोटे बेटे को भी फौज में भेजने का सपना संजोया लेकिन ख्वाब अधूरे रह गए।
90 का दशक आते ही सूरजभान सिंह के अपराध का ग्राफ तेज़ी से बढ़ने लगा। बताया जाता है कि कांग्रेस के विधायक और मंत्री रह चुके श्याम सुंदर सिंह धीरज और दिलीप सिंह (अनंत सिंह के बड़े भाई) की वजह से सूरजभान सिंह जुर्म की दुनिया के बेताज बादशाह बने। बाहुबली दिलीप सिंह कभी श्याम सुंदर सिंह धीरज के लिए बूथ लूटने का काम करते थे। एक वक्त ऐसा आया जब बाहुबली दिलीप सिंह ने श्यम सुंदर सिंह धीरज के खिलाफ ही सियासी चाल चल दी। इतना ही नहीं चुनावी रण में श्याम सुंदर धीरज को हराकर लालू प्रसाद यादव की सरकार में मंत्री भी बने। ग़ौरतलब है कि श्याम सुदर धीरज ने ही दिलीप सिंह को पाला-पोसा था और दिलीप ने ही श्याम सुंदर को चुनावी मात दी। इससे श्याम सुंदर सिंह धीरज पूरी तरह बौखला गए। फिर उनकी नज़र दिलीप गैंग के सूरजभान सिंह पर पड़ी, जिसे जुर्म की दुनिया पर राज करने का भूत सवार था। दिलीप सिंह के मंत्री बन जाने के बाद वह सियासत में व्यस्त हुए इधर सूरजभान सिंह का सूरज उदय हुआ।
वर्ष 2000 का विधानसभा चुनाव खांटी बाहुबली बनाम बाहुबली हुआ। तब जनता दल से दिलीप सिंह और बतौर निर्दलीय सुरजभान सिंह ने अपना-अपना दावा ठोक डाला। आंकड़ों का सहारा लें तो ये चुनाव इस क्षेत्र के लिए रिकॉर्ड साबित हुआ। ये चुनाव कई कारणों से महत्वपूर्ण हो गया। एक तो दिलीप सिंह 70 हजार मतों से चुनाव हार गए। दूसरा ये कि इस बार इस क्षेत्र में सबसे ज्यादा मतदान हुआ। दें कि बलिया के सांसद रहे सूरजभान सिंह एक हत्या के मामले में दोषी पाए गए तो इन्हें अयोग्य घोषित किया गया। उन्होंने अपनी पत्नी वीणा देवी को राजनीति के मैदान में उतारा। 2014 लोकसभा चुनाव में लोजपा के टिकट से लड़कर मुंगेर की सांसद निर्वाचित हुईं। सुरज भान के भाई चंदन सिंह नवादा से सांसद बने।
वहीं मोकामा के छोटे सरकार यानि अनंत सिंह को नीतीश कुमार ने साल 2005 में मोकामा विधानसभा से जदयू से टिकट देकर मैदान में उतार दिया। इसे लेकर मीडिया में काफी बातें भी उछलीं कि नीतीश कुमार, जिन्होंने अपराधीकरण को खत्म करने की कसम खाई थी। वे ऐसे शख्स को टिकट दे रहे हैं, जिसके खिलाफ संगीन मामले दर्ज थे, लेकिन बावजूद इसके अनंत सिंह मोकामा विधानसभा सीट से जीतने में कामयाब रहे। लगातार आपराधिक घटनाओं को अंजाम देने के कारण अनंत सिंह नीतीश कुमार के लिए चिंता के सबब बने रहे। यही वजह थी कि लालू यादव के दोबारा करीब जाने के बाद 2015 में अनंत सिंह ने जदयू से इस्तीफा दे दिया। उस वक्त अनंत सिंह जेल में बंद थे। जेल से ही उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ा और 18000 वोट से जीते भी। 2020 के चुनाव में वे राजद की टिकट पर चुनाव लड़े और जीतकर विधायक बन गए। 2020 का विधानसभा चुनाव अनंत सिंह जीत तो गए। पर एके 47 और हैंड ग्रेनेड रखने के जुर्म में उन्हें 10 वर्ष की सजा सुना दी गई। इसे उनकी विधायक रद्द हो गई, जिसके बाद इस सीट पर उपचुनाव कराया जा रहा है।
Report- Akanksha Dixit.
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