राजभवनों का नाम कर्तव्य भवन क्यों नहीं? राजपथ का नाम बदलने पर कांग्रेस नेता शशि थरूर ने केंद्र से पूछा सवाल

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राजपथ का नाम बदलकर कर्तव्यपथ करने पर भाजपा सरकार की जमकर आलोचन करते हुए कांग्रेस नेता और लेखक शशि थरूर ने केंद्र से सवाल किया कि देश में सभी राजभवनों का नाम बदलकर कर्तव्यभवन क्यों नहीं होना चाहिए? राजपथ का नाम बदलकर कर्तव्यपथ करने पर भाजपा सरकार की जमकर आलोचन करते हुए कांग्रेस नेता और लेखक शशि थरूर ने केंद्र से सवाल किया कि देश में सभी राजभवनों का नाम बदलकर कर्तव्यभवन क्यों नहीं होना चाहिए? ट्वीट करते हुए थरूर ने कहा कि सरकार को यहीं नहीं रुकना चाहिए बल्कि राजस्थान का नाम भी बदलकर कर्तव्यस्थान कर देना चाहिए।
आपको बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 सितंबर को कर्तव्य पथ का उद्घाटन करने के बाद कहा था कि यह कदम तत्कालीन राजपथ से सत्ता का प्रतीक होने के नाते कर्तव्य पथ को सार्वजनिक स्वामित्व और सशक्तिकरण का एक उदाहरण होने का प्रतीक है। उन्होंने इस अवसर पर इंडिया गेट पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा का भी अनावरण किया। कर्तव्यपथ का उद्घाटन करते हुए पीएम ने कहा था कि आज हम हम अतीत को पीछे छोड़ते हुए कल की तस्वीर को नए रंगों से भर रहे हैं। आज यह नई आभा हर जगह दिखाई दे रही है, यह नए भारत के विश्वास की आभा है। ‘दास प्रथा का प्रतीक किंग्सवे (राजपथ), आज से इतिहास बनकर हमेशा के लिए मिटा दिया गया है’, और मैं सभी देशवासियों को बधाई देता हूं।
आजादी के इस अमृतकाल में गुलामी की एक और पहचान से देशवासियों को आजादी मिल गई है’ पीएम मोदी। मोदी ने इस बात पर जोर देते हुए कहा था कि कर्तव्यपथ केवल ईंटों और पत्थरों से बनी सड़क नहीं है, बल्कि भारत के लोकतांत्रिक अतीत और सर्वकालिक आदर्शों का एक जीवंत उदाहरण भी है।
मोदी का कहना था कि राजपथ ब्रिटिश राज के लिए था, जो भारतीयों को गुलाम मानते थे। उन्होंने जोर देकर कहा कि राजपथ की भावना और संरचना गुलामी की प्रतीक थी, लेकिन आज वास्तुकला में बदलाव के साथ इसकी भावना भी बदल गई है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय युद्ध स्मारक से राष्ट्रपति भवन तक फैला यह कार्तव्य पथ कर्तव्य की भावना से जीवंत होगा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आज का भारत भौतिक, डिजिटल और परिवहन बुनियादी ढांचे के साथ-साथ सांस्कृतिक बुनियादी ढांचे पर काम कर रहा है। पीमए मोदी का कहना था कि ग्रामीण सड़कों और आधुनिक एक्सप्रेसवे, रेलवे और मेट्रो नेटवर्क और नए हवाई अड्डों की रिकॉर्ड संख्या अभूतपूर्व तरीके से परिवहन बुनियादी ढांचे का विस्तार कर रही है।

Report- Akanksha Dixit.

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Author: Akanksha Dixit

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